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Ekam -Gadarpur Updates

एकम सनातन भारत दल गदरपुर उत्तराखंड द्वारा विजयादशमी पर्व पर शस्त्र पूजन कार्यक्रम संपन्न।





 सभी धर्मप्रेमी सज्जनों को राम राम 🙏

एवं अधर्म पर धर्म की विजय के प्रतीक विजयदशमी (दशहरे) की बहुत बहुत शुभकामनाएं 🌺

जैसा कि यह सर्वविदित है कि श्री रामचन्द्र जी ने सीता माता के अपहरण करता रावण का दण्ड स्वरूप आज ही के दिन द्वंद युद्ध में वध कर दिया था। लेकिन इस निशाचर संहार का कारण मात्र माता सीता का हरण नहीं था।

श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज अरण्यकाण्ड में लिखते हैं कि जब प्रभु श्री राम चन्द्र जी ने तपस्वी ऋषि मुनियों महात्माओं की अस्थियों का दर्शन किया तब उनकी भुजाएं फड़कने लगी। और उन्होंने उपस्थित महात्माओं एवं पंचतत्वो को साक्षी मानकर यह प्रण किया-

निसचर हीन करहु मही भुज उठाएं पन कीन।।
सकल मुनिन के आश्रम जाए जाए सुख दीन।।


उस समय लक्ष्मण सहित माता सीता जी उनके साथ थी।
यह प्रसंग मात्र यह संदेश देने के लिए उद्धरित किया जा रहा है कि अधर्म से लडने के लिए उस समय की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए कि जब तक वह हमे ही हानि नहीं पहुंचाता।

क्योंकि अधर्म का स्वाभाविक गुण है कि वह धीरे-धीरे विस्तार करते हुए अपने आसपास के संपूर्ण वातावरण को दूषित करते हुए उसकी समझ में उपलब्ध हर एक वस्तु को छीनते लूटते हुए सब पर अधिकार करना चाहता है।

इसलिए हे श्री राम चन्द्र जी को अपना आदर्श मानने वालों आप भी किसी निजी हानि कि प्रतीक्षा न कर के आज ही यह प्रण लो की-

मैं अपने सामर्थ्य बुद्धि बल विवेक से जितना भी न्यूनाधिक अधर्म का नाश कर सकता हूं करता रहूंगा।

यह देश जहां जगह जगह भटूरे उग रहे हैं! जब आप किसी यात्रा पर निकलते हैं और मार्ग की प्राकृतिक सुंदरता देख कर आनंद का अनुभव करते हैं।तब आपके मन में यह अनकहे भाव आते हैं कि यह सभी हमारा है। वास्तव में इस देश की हर पगडंडी मार्ग महामार्ग पेड़ पौधे लताएं खेत खलिहान पर्वत नदिया झील जंगल यहां तक कि हमें परंपरा से प्राप्त हिमालय से लेकर हिंदमहासागर तक पग-पग भूमि के हर एक कण पर हमारा अधिकार है।इसी पर आपको गर्भ करने का अधिकार है इसी पर प्रसन्न होने का अधिकार है और इसी के पतन पर आपको चिंतिंत होने का अधिकार है।

चूंकि हर अधिकार के साथ कर्त्तव्य होता है और हर कर्त्तव्य के साथ अधिकार होता है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में इस अधिकार प्रधान समाज में हमारे कर्त्तव्यों का क्षेत्र बहुत व्यापक है।
क्योंकि हमारे पूर्वज जो किन्हीं अपनों के विश्वासघात के कारण या किसी अन्य कारण से वर्तमान में प्राप्त जो धर्म और देश हमें दे कर गए हैं वह बहुत न्यून हैं। इसलिए हमारा यह दायित्व है कर्त्तव्य है कि हम धर्म और देश को पुनः उसी स्थान पर स्थापित करें जो कभी भारत (भा =प्रकाश, रत=लीन,  ज्ञान के प्रकाश में लीन) कहा जाता था।

जैसा कि योगेश्वर भगवन श्री कृष्ण जी महाराज गीता जी में अर्जन से कहते हैं कि तूं चाह कर भी इस युद्ध (महाभारत) से भाग नही सकता यही स्थिति वर्तमान में हम सभी की है आप चाहें अनचाहे भी इस प्रण से दूर नहीं भाग सकते क्योंकि आपके युद्ध न चाहने से कुछ नही होगा युद्ध आप पर थोपा जा रहा है। अतः अपने युद्ध चाहा नहीं चाहा अपने युद्ध किया नहीं किया आपका प्रकार (तरीका)क्या था इससे कोई अंतर नहीं पड़ता अंतर पड़ता है आप जीते या हारे

यथार्थ भविष्य तो ब्रह्मा जी ही जानते हैं परन्तु ऐसा नहीं है कि भारत के हिन्दुओं पर परम् पिता ब्रह्मा जी की कृपा बिल्कुल नहीं है कुछ कुछ तो भारत के सनातन हिन्दू भी समझ रहे हैं तैयारी क्या है क्या हो यह अपने अपने विवेक पर निर्भर करती है। वैसे आत शस्त्र पूजन का पर्व है अगर आपके पास कोई शस्त्र हो तो पूजन अवश्य करें 🙏

सनातन धर्म की जय 🙏
धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो🙏
जय श्री राम🙏

हर हर महादेव 🙏

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