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Ekam -Jammu Updates एडवोकेट अंकुर शर्मा के चुनाव में उतरने से बदला समीकरण, स्थापित पार्टियों के अंदर भय

जम्मू (एजेंसीज़): 15.04.2024: मोबाइल नंबर - 7



जम्मू लोकसभा में 26 अप्रैल को पड़ने वाले मतदान के लिए प्रचार तेज हो गई है। राज्य में पहली बार चुनाव लड़ रहे ‘एकम सनातन भारत दल’ के प्रति लोगों का उमड़ता प्रेम देखकर भाजपा-कांग्रेस जैसे पुराने दलों के होश पाख्ता हैं। ‘एकम सनातन भारत दल’ ने जम्मू से अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अंकुर शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। अंकुर शर्मा का चुनाव चिह्न बांसुरी है।

स्थानीय निवासी अंकुर शर्मा पेशे से वकील हैं। जम्मू हाईकोर्ट के जरिए उनके द्वारा जम्मू की जनता के लिए कराए गये कार्य के कारण उनकी लोकप्रियता क्षेत्र में बहुत अधिक है। जम्मू का शायद ही कोई घर हो जो उन्हें न जानता हो। स्थानीय लोगों का मानना है कि सत्ताधारी भाजपा ने जम्मू में अपने पुराने उम्मीदवार जुगल किशोर को चुनाव में उतार कर एक तरह से अंकुर शर्मा को वाॅक ओवर देने का कार्य किया है। 

जम्मू की जनता भाजपा के वर्तमान सांसद जुगल किशोर के प्रति गुस्से से भरी है। मोदी लहर में दो बार चुनाव जीतने वाले जुगल किशोर से जनता की शिकायत है कि जीतने के बाद न तो वह इलाके में दिखते हैं और न ही लोकसभा में जम्मू की जनता के हितों को ही उठाते हैं। और तो और वह लोकसभा में खुलेआम झूठ बोलते हैं कि जम्मू में मेट्रो रेल का संचालन उन्होंने करा दिया है, जबकि अभी तक जम्मू में मेट्रो रेल का कहीं अता-पता भी नहीं है।

ज्ञात हो कि अंकुर शर्मा ने बिना सत्ता में रहे ही जम्मू को बचाने का लगातार प्रयास किया है। जम्मू की स्थापित पार्टियों द्वारा रौशनी एक्ट बनाकर जिस तरह से जम्मू में अवैध रूप से एक समुदाय विशेष को बसाया गया, चाहे वो भटिंडी की पहाड़ियां हो या वन क्षेत्र हो या फिर जम्मू-तबी नदी का किनारा, उसने जम्मू के हिंदू बहुल चरित्र को लगभग बदल ही डाला था, लेकिन ऐन वक्त पर अंकुर शर्मा ने हाईकोर्ट की मदद से रौशनी एक्ट को समाप्त करा कर जम्मू की जनता को जिस भय से उबारा है, उसे जम्मू में अभी तक कोई नहीं भूला है। 25,000 करोड़ के इस घोटाले में कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, भाजपा, पीडीपी-सभी शामिल रहे हैं। जम्मू की जनता आज भी यह याद करके सिहर जाती है कि यदि अंकुर शर्मा नहीं होते तो निकट भविष्य में उनके लिए भी कश्मीरी हिंदुओं की तरह पलायन का रास्ता स्थापित पार्टियों ने तैयार कर दिया था। 

अंकुर शर्मा यहीं नहीं रुके, उन्होंने जम्मू-कश्मीर में सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में केवल मुस्लिम लाभार्थी का मुद्दा भी उठाया और सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी। अंकुर शर्मा ने अपनी याचिका के जरिए जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों को अल्पसंख्या का दर्जा दिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई। अंकुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी कि जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों की आबादी 70 फीसदी के करीब है। इस लिहाज से मुस्लिम समुदाय जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक नहीं, बहुसंख्यक है। अतः मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यांे को मिलने वाला सारा लाभ बंद होना चाहिए और यह लाभ यहां के हिंदुओं, सिखों एवं अन्य अल्पसंख्यकों को मिलना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने अंकुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के अल्पसंख्यक अधिकार को समाप्त कर दिया, परंतु केंद्र की मोदी सरकार द्वारा इसे लागू नहीं किया जा सका। इसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय पर एक नहीं, बल्कि दो-दो बार जुर्माना भी लगाया। यह अंकुर शर्मा के कारण ही हो सका, अन्यथा आज तक जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों के बहुसंख्यक होने की बात केवल सभा-सेमिनारों में ही उठती थी, लेकिन इसे समाप्त कराने का पहला ऐतिहासक प्रयास एडवोकेट अंकुर शर्मा का ही रहा। 

कठुआ-रसाना में जब महबूबा-भाजपा गठबंधन की सरकार ने वहां के हिंदुओं और कुल देवता के मंदिर को बदनाम करने का प्रयास किया तो प्रतिरोध में केवल एक स्वर सुनाई दिया, वह अंकुर शर्मा थे। मीडिया के एकतरफा नरेशन को ध्वस्त कर हिंदुओं को अंकुर शर्मा ने इकट्ठा किया और कठुआ मामले की लड़ाई अदालत से सड़क तक लड़ी। जम्मू-कश्मीर के हिंदुओं के हितों की ल़ड़ाई लड़ने के लिए उन्होंने ‘इकजुट्ट जम्मू’ का निर्माण किया और आज वही ‘इकजुट्ट जम्मू‘ जम्मू से निकल कर पूरे भारत में ‘एकम सनातन भारत दल’ के रूप में विस्तार पा चुका है।

इसी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में अंकुर शर्मा जम्मू की जनता के बीच हैं। उनका मामनना है कि भारत की राज-सत्ता का चरित्र ही सनातन धर्म और संस्कृति विरोधी है। लोकतंत्र में यदि राज-सत्ता को सनातन संस्कृति के अनुरूप बनाना है तो उसका रास्ता सिर्फ चुनाव से जाता है। यदि जम्मू की जनता ने उन्हें चुनाव में अपना प्रतिनिधि बनाकर लोकसभा में भेजा तो अंकुर शर्मा का मानना है कि वह जम्मू के हितों के लिए वहां न केवल आवाज उठाएंगे, बल्कि विधायिका को बाध्य कर जम्मू हित में कानून भी बनवा पाएंगे। अंकुर शर्मा के अनुसार, बिना संसद में पहुंचे अदालतों के माध्यम से एक-दो कानून को तो रद्द करवा सकते हैं, लेकिन जम्मू की जनता के हित में कानून का निर्माण नहीं करा सकते, क्योंकि कानून के निर्माण का अधिकार विधायिका के पास है। 

बातचीत में अंकुर शर्मा कहते हैं, मैं जम्मू की जनता के बीच उनका स्नेह और सहयोग मांगने आया हूं, ताकि जम्मू के साथ इतिहास में हुए छल पर पूर्ण विरोम लगा सकूं। मैं अकेला हूं जो जम्मू के हितों की बात करते हुए चुनावी मैदान में हूं, अन्यथा अन्य स्थापित पार्टियां तो कश्मीर के हितों के आगे जम्मू के हितों को गौण मानकर आजादी के बाद से ही व्यवहार करती रही हैं। यदि जम्मू को कश्मीर की गुलामी से स्वतंत्र होना है तो वह व्यक्ति चाहिए जो हमेशा जम्मू के हिंदुओं के हितों की लड़ाई लड़ता रहा हो। मैं जम्मू की जनता से वादा करता हूं कि जब तक शरीर में प्राण है, उनके हितों पर कभी आंच नहीं आने दूंगा।


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